Gujarat Vidyapith was founded by Mahatma Gandhi on
18th October, 1920. It has been deemed university since 1963

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Convocation

July 21,2024

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गूजरात विद्यापीठ के 70वें दीक्षांत समारोह में 972 छात्रों को डिग्रियां प्रदान कीं। छात्रों को गांधीजी के 'सादा जीवन-उच्च विचार' के संदेश के अनुरूप शुद्ध, सात्विक और उच्च आदर्शों के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी। छात्रों से कहा कि जीवन में कहीं भी जाओ, ऐसा आचरण, विचार और व्यवहार रखो कि गूजरात विद्यापीठ का गौरव बढ़े। राष्ट्रसेवा, मानवसेवा और जीवसेवा की भावना, सभी के कल्याण की भावना के साथ जीवन में प्रगति करो। तैत्तिरीय उपनिषद के उपदेश के संदर्भ में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पूज्य गांधीजी सत्य के आग्रही थे। जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करो। जो हमेशा सत्य के मार्ग पर चलता है वही जीवन में स्थायी सम्मान पाता है। सत्य ही शाश्वत है। सत्य हमेशा प्रेरणा देता है। आत्मा की शांति का मूल आधार ही सत्य है।हिंदू-मुस्लिम जैसे भेद धर्म नहीं हैं। धर्म का अर्थ है मानवीय संवेदना का स्पंदन महसूस करना। व्यक्ति को सभी जीवों के साथ सद्व्यवहार करके मातृधर्म, पितृधर्म, नागरिकधर्म और राष्ट्रधर्म का पालन करना चाहिए। पूज्य गांधीजी हमेशा समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के आग्रही रहे। हर छात्र को समाज में जहां जरूरत हो वहां अपने ज्ञान का लाभ पहुंचाना चाहिए। अपने माता-पिता और गुरुजनों का हमेशा आदर-सत्कार-सम्मान करना चाहिए। जहां माता-पिता और गुरु का सम्मान होता है वहीं समाज और राष्ट्र समृद्ध होता है।

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